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Friday, December 25, 2015

कप कपा रही ये वादियां...

  
ओढ़ कर ये बर्फीली चादर
कप कपा रही ये वादियां

ढल रही है रातें ये सोचकर
क्यों रो रही ये वादियां

चाँद के किरण से तो
मोतियों सी चमक रही ये वादियां

सूरज के ओजस्वी किरण पड़ते ही
खिल खिला उठेंगी ये वादियां...

  - रजनीकांत कुमार

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